श्री राम वंदना स्तुति pdf: “श्री राम वंदना स्तुति PDF” एक important धार्मिक पाठ है जो भगवान राम के महिमा और आदर्शों का वर्णन करता है। इस पीडीएफ ग्रंथ को प्राप्त करके, आप भगवान राम के पूजन, स्तुति, और उनके आदर्शों को फॉलो कर सकते हैं। यह ग्रंथ रामायण कथा के important हिस्सों को संक्षेप में प्रस्तुत करता है और आपको भगवान राम के साथ एक आध्यात्मिक संबंध बनाने में मदद करता है।
इस पीडीएफ फॉर्मेट में उपलब्ध ग्रंथ को पढ़कर, आप आपकी आत्मा को आशीर्वादित करने का यूनिक तरीका प्राप्त कर सकते हैं और भगवान राम के महिमा के साथ अपने जीवन को धार्मिकता और शांति से भर सकते हैं।
श्री राम वंदना स्तुति pdf
भगवान राम के प्रति हमारी भक्ति और श्रद्धा हमारे जीवन में अद्भुत सुख और शांति प्रदान कर सकती है। श्री राम वंदना स्तुति pdf, एक प्रमुख हिन्दू धर्मिक ग्रंथ, भगवान राम की महिमा को गाता है और हमें उनके आदर्शों के प्रति प्रेरित करता है। आपकी आत्मा को आशीर्वादित करने का यह अद्वितीय तरीका है, और यदि आप इसे पीडीएफ फॉर्मेट में प्राप्त करना चाहते हैं, तो हम आपकी मदद कर सकते हैं।
Table of Contents
श्री राम स्तुति अर्थ सहित
श्रीराम स्तुति अर्थ सहित:- श्रीराम स्तुति के बारे में पूरी जानकारी मिलती है, की इनका स्वभाव, रूप-रंग, असुर पर विजय और सीताजी के द्वारा पूजा करके खुशी आदि के बारे में पूरी जानकारी मिलती हैं।
- श्री राम स्तुति श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणं।
- नवकंज-लोचन, कंजमुख, कर-कंज पद कंजारुणं।।
अर्थ:- हे मेरे अथिर मन तु सभी पर अपनी कृपा करने वाले और सब पर समान दृष्टि रखने वाले श्रीरामचन्द्र जी की भक्ति भाव और उनका गुणगान कर, वे जगत के आने-जाने की योनि के भयंकर कष्ट के डर निवारण करने वाले हैं, श्रीरामचन्द्रजी के चक्षु नये बने हुए पंकज पुष्प की तरह कोमल हैं, मुख-हस्त और उनके चरण भी लाल पंकज पुष्प के समान हैं।
- कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरद सुंदरं।
- पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमी जनक सुतावरं।।
अर्थ:- श्रीरामचन्द्र जी के शरीर की सुंदरता की छवि अनंत सुंदर एवं आकर्षक मन को मोहित करने वाले कामदेवों से भी ज्यादा है। श्रीरामचन्द्र जी की देह नए गहरे आसमानी रंग के या नील कमल के पौधे के रंग के जल से पुरीपूर्ण बादल रूप के समान सुंदर रंग है, पीले आकाश जैसा बादल रूप शरीरों में मानों तड़ित के समान चमक रहा है, ऐसे पवित्र सीता जी के पति श्री राम जी को मैं नमस्कार करता हूँ।
- भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्यवंश-निकन्दनं।
- रघुनंद आनँदकंद कोशलचंद दशरथ-नन्दनं।।
अर्थ:- हे मेरे चित से भटके हुए मन, दिनों के बन्धु, भास्कर की अगनी के समान तेजस्वी, राक्षस एवं दानवों के वंश का पूरी तरह नाश करने वाले, आनँदकंद, कौशल देश-रूपी आकाश में निर्मल सोम के समान श्रीदशरथ नंदन श्री राम जी का भजन करें।
- सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
- आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित-खरदूषणं।।
अर्थ:- भिन्न-भिन्न तरह के रत्नो से जड़ा हुआ मुकुट पर जो मस्तक पर धारण किये हुए हैं, जिनके कानों में कुंडल धारण किये हैं, सुन्दर तिलक भाल पर सुशोभित हो रहा है और शरीर के सभी अंगों पर आभूषण से सजित है, जो कि बहुत ही मन को आकर्षित करने वाला रूप हैं। भुजाएँ घुटनों तक लम्बी है, हाथों में धनुष-बाण को लिए हुए हैं, खर-दूषण दैत्य को संग्राम में पराजित करके विजय प्राप्त की है, उन श्रीरामजी को में वंदन करता हूँ।
- इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनं।
- मम हृदय-कंज निवास कुरु, कामादि खल-दल-गंजनं।।
अर्थ:- जो मुनियों, शेष और भोलेनाथ के मन को खुश करने वाले हैं, काम, क्रोध, लोभादि शत्रुओं को नष्ट करके अच्छे भाव को जाग्रत करने वाले हैं, तुलसीदासजी अरदास करते हैं, की वे श्री रघुनाथजी मेरे हृदयकमल में हमेशा रहे।
- मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुन्दर साँवरो।
- करुना निधान सुजान सीलू सनेहु जानत रावरो।।
अर्थ:- जिसमें तुम्हारा मन आकर्षित हो गया एवं उसकी छवि तुम्हारे मन के हृदय में घर कर चुकी हैं, वही स्वभाव से सुंदर सांवला वर(श्रीरामचंद्रजी) तुमको प्राप्त होंगे। वह दया के सागर और सुजान अर्थात सभी तरह को जानने व सभी जगह पर निवास करने वाले हैं, तुम्हारे शील या मर्यादा और प्रेम-अनुराग को को जानने वाले है।
- एहि भाँति गौरी असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली।
- तुलसी भवानिहि पूजि पुनि-पुनि मुदित मन मंदिर चली।।
अर्थ:- इस तरह श्रीगौरी जी का आशीर्वाद सुनकर जानकीजी सहित समस्त सखियाँ हृदय में हर्षित हुई। तुलसीदासजी कहते हैं-सीताजी मन से बहुत खुश होती है, क्योंकि माता भवानीजी को बार-बार पूजकर खुशी के साथ अपने राजमहल की ओर चल पड़ती हैं।
सोरठा:-
- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
- मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।
अर्थ:- गौरी जी को अनुकूल जानकर सीताजी के हृदय में जो खुशी हुई उसको व्यक्त नहीं कि जा सकती हैं, जो उनको खुशी हुई उनके लिए तो सबकुछ उन्होंने प्राप्त कर लिया हैं। सुन्दर मंगलों के मूल उनके बायें अंग भी फड़कने लगे थे, उनको अपने मन की कामना की सिद्धि का संकेत मिल रहा था।
श्री राम वंदना स्तुति: एक important भक्ति ग्रंथ
श्री राम वंदना स्तुति भगवान राम की पूजा और स्तुति के लिए एक important भक्ति ग्रंथ है। इस ग्रंथ में भगवान राम के महानतम गुण, लीलाएं, और आदर्शों का वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ हमें भगवान की भक्ति कैसे करनी चाहिए और उनके प्रति कैसे श्रद्धा रखनी चाहिए, इसका मार्गदर्शन करता है।
इस ग्रंथ का विशेष महत्व है क्योंकि यह रामायण कथा के important घटनाओं का वर्णन करता है, जो राम-लीला का important हिस्सा है। श्री राम वंदना स्तुति के पाठ से हम भगवान राम के साथ जुड़कर उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपना सकते हैं और आत्मा को पवित्र बना सकते हैं।
श्री राम स्तुति हिंदी में
श्री रामचंद्र कृपालु भजमन, हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
छंद
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
सोरठा
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
श्री राम वंदना स्तुति के पीडीएफ रूप में प्राप्ति का तरीका:
यदि आप श्री राम वंदना स्तुति pdf फॉर्मेट में पढ़ना चाहते हैं, तो आप इसे आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं। इसके लिए निम्नलिखित स्टेप को फॉलो करें:
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इस तरीके से, आप अपने डिवाइस पर श्री राम वंदना स्तुति को पढ़ सकते हैं और उसकी महिमा का आनंद ले सकते हैं। यह ग्रंथ आपके जीवन को भगवान राम के प्रति पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ भर सकता है और आपको एक उत्तम जीवन की ओर अग्रसर कर सकता है।
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Conclusion
भगवान राम की वंदना करना हमारे जीवन को धार्मिकता और आध्यात्मिकता का एक important हिस्सा बना सकता है। श्री राम वंदना स्तुति pdf रूप में प्राप्त करके, आप उसके गुणगान में लीन हो सकते हैं और उसके आदर्शों का पालन करके अपने जीवन को सुखमय और सफल बना सकते हैं।
इस पवित्र ग्रंथ के माध्यम से, हम भगवान राम की महिमा का गान करते हैं और उनके प्रति अपनी भक्ति को प्रकट करते हैं। इससे हमारी आत्मा को शांति और सुख का अहसास होता है और हम एक संगीतमय और धार्मिक जीवन जी सकते हैं। जय श्री राम!
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