Sultan Alauddin Khilji Biography: सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी, दिल्ली सल्तनत के सबसे ताक़तवर और असरदार सुल्तानों में से एक थे। उनका असली नाम अली गुरशास्प था। उन्होंने 1296 ई. से 1316 ई. तक हुकूमत की। अलाउद्दीन खिलजी को उनकी बेहतरीन हिकमत-ए-अमली, माली इस्लाहात (Advice) और मंगोल हमलों से हिंदुस्तान की हिफाज़त के लिए जाना जाता है।
अक्सर उनके बारे में गलत बातों को फैलाया जाता है, लेकिन तारीख़ी और इस्लामी किताबों (History) में उनका तज़किरा एक काबिल शासक और दूरअंदेश बादशाह के तौर पर किया गया है। जबकि आज के भारत में और फिल्मो खिलजी को एक क्रूर बादशाह दिखाने की कोशिश की है।
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अलाउद्दीन खिलजी का बचपन (ChildHood)
सुल्तान अलाउद्दीन खिल्जी का जन्म दिल्ली सल्तनत के खिलजी ख़ानदान में हुआ। उनके चचा जलालुद्दीन खिलजी दिल्ली के पहले खिलजी सुल्तान थे। अलाउद्दीन ने अपनी काबिलियत और बहादुरी से खुद को साबित किया, और भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में नाम रोशन किया।
उनके शुरुआती दौर के बारे में ज्यादा मालूमात नहीं मिलतीं, लेकिन यह कहा जाता है कि वह बचपन से ही बहादुर और तेज़ दिमाग़ के थे। उन्होंने अपने चचा के मातहत रहते हुए इदारा (Institutions) चलाने के तरीके सीखे।
अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास
अलाउद्दीन (Aalauddin Khilji) ने 1296 ई. में अपने चचा जलालुद्दीन खिलजी को शिकस्त देकर तख्त हासिल किया। इस वाकये पर मुख्तलिफ रायें (different opinions) मौजूद हैं। कुछ तारीख़निगार (date book) इसे हुकूमत की लालच कहते हैं, जबकि इस्लामी स्रोत इसे सल्तनत की मज़बूती के लिए ज़रूरी कदम बताते हैं।
अलाउद्दीन खिलजी ने तख्त (सत्ता) संभालते ही सल्तनत को मुस्तहकम (मजबूत) और संगठित बनाने की शुरुआत की। उन्होंने अपनी हुकूमत को मस्तहकम बनाने के लिए कई अहम क़वानीन लागू किए।
Alauddin Khilji Wife
अलाउद्दीन खिलजी की कई बीवियां (Wife) थीं, जिनमें उनकी पहली बीवी मलिका-ए-जहां थीं। वह उनके चचा (Uncle) जलालुद्दीन खिलजी की बेटी थीं। मलिका-ए-जहां को अपनी शान-ओ-शौकत और रुतबे का बड़ा ख्याल था।
इसके अलावा, अलाउद्दीन ने दूसरी शादियां भी कीं ताकि राजनीतिक गठबंधन और सत्ता को मज़बूत बनाया जा सके। इन शादियों के जरिए उन्होंने मुख्तलिफ सल्तनतों और राजघरानों के साथ अपने रिश्ते मजबूत किए।
अलाउद्दीन खिलजी की पत्नी अक्सर सल्तनत के अहम मामलों में शामिल रहती थीं और उनका अपना असर भी था। हालांकि, मलिका-ए-जहां को सुल्तान के दिल में एक खास मकाम हासिल था।
मंगोल हमलों से हिफाज़त
अलाउद्दीन खिलजी के दौर-ए-हुकूमत में हिंदुस्तान पर बार-बार मंगोल हमला हुआ। मगर उन्होंने अपनी बेहतरीन हिकमत और ताक़तवर फौज की मदद से मंगोलों को हर बार शिकस्त दी।
- हिकमत-ए-अमली: उन्होंने अपनी सरहदों को महफूज़ बनाया और मंगोलों के खिलाफ सख्त नीतियां अपनाईं।
- दिल्ली की हिफाज़त: उन्होंने दिल्ली को महफूज़ (Safe) बनाने के लिए मज़बूत किलेबंदी करवाई।
अलाउद्दीन खिलजी की माली इस्लाहात
अलाउद्दीन ने सल्तनत (satta) की माली हालत को बेहतर बनाने के लिए कई इक़दामात किए-
- कर प्रणाली (Tax System) में सुधार: उन्होंने कर वसूली को सख्त बनाया और यकीनी बनाया कि हर किसान अपनी आमदनी का एक हिस्सा सल्तनत को दे।
- गल्ले और सामान की कीमतें: उन्होंने गल्ले और ज़रूरी सामान की कीमतों को कंट्रोल किया ताकि गरीब और दरमियानी तबके (माध्यम वर्ग) को राहत मिल सके।
- बाज़ार का कंट्रोल: अलाउद्दीन ने बाज़ार की निगरानी के लिए अफसरों की तैनाती की। इससे बदउनवानी और कालाबाज़ारी पर रोक लगी।
फौजी मुहिमात और फतहें
अलाउद्दीन ने अपनी हुकूमत में कई अहम फतहें हासिल कीं-
- रणथंभौर का जंग: 1301 ई. में उन्होंने रणथंभौर के किले पर फतह पाई। यह फतह उनकी ताक़त और हिकमत-ए-अमली का सबूत थी।
- चित्तौड़ की फतह: 1303 ई. में उन्होंने चित्तौड़गढ़ पर कब्जा किया। यह फतह तारीख़ में अहम मानी जाती है।
- दक्कन में तौसी: अलाउद्दीन ने दक्कन के इलाक़ों में भी अपनी ताक़त का सिक्का जमाया। उनके सरदार मलिक काफूर ने देवगिरि, वारंगल और मदुरै जैसे इलाक़ों पर कब्जा किया।
हुकूमत की ख़ुसूसियात
अलाउद्दीन का दौर-ए-हुकूमत अपने इंतज़ाम और सख्त क़वानीन के लिए मशहूर था-
- बदउनवानी पर रोक: उन्होंने इदारे में बदउनवानी को खत्म करने के लिए सख्त इक़दाम उठाए।
- सामाजी इस्लाहात: उन्होंने गरीबों और किसानों के हक में कई नीतियां बनाईं।
- मज़हबी रवादारी: इस्लामी किताबों के मुताबिक, अलाउद्दीन मज़हबी रवादारी के हामी थे। उन्होंने मुख्तलिफ मज़ाहिब के लिए इज़्ज़त का रवैया अपनाया।
Alauddin Khilji Died (अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु कैसे हुई)
1316 ई. में अलाउद्दीन खिलजी का इंतकाल हो गया। उनके इंतकाल के बाद, खिलजी सल्तनत कमजोर हो गई, मगर उनका दौर-ए-हुकूमत दिल्ली सल्तनत की तारीख़ में सुनहरी दौर माना जाता है।
उनकी नीतियां और फतहें आज भी इंस्पिरेशन हैं। उन्होंने हिंदुस्तान को मंगोल हमलों से बचाकर मुल्क की आज़ादी को बरकरार रखा।
अलाउद्दीन खिलजी से जुड़ी गलतफहमियां
आज के दौर में अलाउद्दीन खिलजी के बारे में कई गलतफहमियां आम हैं। फिल्मों और अफवाहों की वजह से उनकी क्रूर छवि बनाई गई, जबकि असली कहानी उनकी कामयाबियों और काबिलियत को दिखाती है।
4 या 5 साल पहले आई फिल्म Padmavat ने जो फिल्म में दिखाया गया वो सब झूठ दिखाया है, इसमें खिलजी को एक क्रूर शासक के रूप में दिखाया, जिसे मुस्लिम समजा के लोग सच नहीं मानते और इस मूवी में पद्मावती का जो किरदार है उसको राजपूत वंश के लोग सच नहीं मानते है।
इसलिए आप पूर्ण रूप से कह सकते है कि मूवी में जो दिखाया गया है कि वो शत प्रतिशत सही झूठ है और पब्लिक को यह चाहिए कि इसे केवल मनोरंजन के उद्देश्य ही देखे।
अलाउद्दीन खिलजी से सीखने की बातें-
- हौसला और सब्र: उन्होंने हर चैलेंज का सामना बहादुरी से किया।
- इंतज़ाम और अनुशासन: उनका इंतज़ामिया हुनर हर हाकिम के लिए मिसाल है।
- गरीबों के लिए काम: उनकी नीतियां ये सिखाती हैं कि हुकूमत का मकसद अवाम की भलाई होना चाहिए।
Alauddin Khilji Real Photo
Alauddin Khilji Photo की बात की जाएँ, तो सोशल मीडिया पर जो अलाउद्दीन के फोटो है वो वैसे बिल्कुल नहीं थे, सारे फर्जी फोटो उपलब्ध है.
Who Defeated Alauddin Khilji?
अलाउद्दीन खिलजी के निधन के बाद, उनकी सल्तनत कमजोर हो गई। उनके उत्तराधिकारी, खासकर कुतुबुद्दीन मुबारक शाह खिलजी, उतने प्रभावी नहीं थे, और उनके शासनकाल में खिलजी वंश का पतन शुरू हुआ। इस दौरान तुगलक वंश ने सत्ता हासिल की।
अलाउद्दीन खिलजी को प्रत्यक्ष रूप से किसी ने हरा नहीं पाया। उनके निधन के बाद खिलजी वंश कमजोर हुआ और तुगलक वंश ने सत्ता पर कब्जा किया। उनकी सैन्य शक्ति और कुशल प्रशासन के कारण वह अपने शासनकाल में अपराजित रहे, उन्हें किसी ने नहीं हरा पाया।
Conclusion
सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी (Sultan Alauddin Khilji Biography) हिंदुस्तान की तारीख़ के एक अहम शख्सियत थे। उन्होंने अपने दौर-ए-हुकूमत में मुल्क को महफूज़ और संगठित बनाया। उनकी नीतियां और कामयाबियां उन्हें तारीख़ के पन्नों में एक अहम जगह देती हैं।
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