Importance of Festivals in India – Hindi Essay 2023

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Importance of Festivals in India: भारत एक विविध और समृद्ध धर्म, संस्कृति और परंपराओं का देश है, जिसमें विभिन्न त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। यहां, हम आपको भारतीय त्योहारों के महत्व के बारे में जानकारी देंगे और बताएंगे कि ये भारतीय समाज के लिए क्यों इतने महत्वपूर्ण हैं।

भारतीय संस्कृति में एक समय था जब साल में हर दिन एक त्यौहार हुआ करता था – एक साल में 365 दिन मतलब 365 त्यौहार – क्योंकि एक त्यौहार जीवन को उत्साह और उत्साह की स्थिति में लाने का एक साधन है। यही त्यौहारो का महत्व और अस्तित्व था। पूरी भारतीय संस्कृति उत्सव की स्थिति में थी। अगर आज हल जोतने का दिन था तो यह एक तरह का उत्सव था। कल रोपण दिवस था, एक और प्रकार का उत्सव, परसों निराई हो रही थी तो वह उत्सव था, अगर फसल की कटाई है, वह भी एक उत्सव था।

Topic Importance of Festivals in India

लेकिन पिछले 400 या 500 सालों में हमारे देश में गरीबी आ गई है और हम हर दिन जश्न नहीं मना पाने वाली स्थिति आ गयी। लोग केवल खाने के लिए साधारण भोजन मिलने पर ही संतुष्ट हो जाते हैं। इस प्रकार सारे पर्व झड़ गए और केवल 30 या 40 त्यौहार ही शेष रह गए। हम उन्हें भी अब सेलिब्रेट नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि हमें रोजाना ऑफिस जाना पड़ता है, भाग दौड़ करनी पड़ती है या कुछ और करना पड़ता है। इसलिए लोग आमतौर पर सालाना लगभग 8 या 10 त्योहार ही मना पाते हैं।

Importance of Festivals in India Essay

त्यौहार समुदायों के बीच एकता की भावना को बढ़ावा देते हैं। विभिन्न पृष्ठभूमियों के लोग उत्सव में शामिल होते हैं, सामाजिक बाधाओं को तोड़ते हैं और सद्भाव को बढ़ावा देते हैं। भारत में त्योहारों के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि हम हर धर्म, संस्कृति और विश्वास का सम्मान करते हैं। आप एक हिंदू को मुस्लिम दोस्तों के घर जाकर, स्वादिष्ट व्यंजन खाते हुए और भाईचारा फैलाते हुए ईद मनाते हुए देख सकते हैं।

हिंदू के अलावा अन्य समुदायों के लोग दिवाली, दशहरा और होली त्योहारों के उत्सव के दौरान सांस्कृतिक गतिविधियाँ करते हैं। यह त्यौहार हमें अनेकता में एकता और एक तरह से त्यौहार मनाने का पाठ पढ़ाता है। भारत की खूबसूरती यह है कि हम धार्मिक त्योहारों को सामाजिक सद्भाव के साथ मनाते हैं।

आजकल, दुर्भाग्य से, एक त्यौहार का मतलब है कि हमारे बॉस या ऑफिस आपको छुट्टी देते हैं, और आप दोपहर बारह बजे सोकर उठते हैं। फिर आप खूब खाते हैं और मूवी देखने जाते हैं या घर पर टीवी देखते हैं। पहले ऐसा नहीं था यानि बाहरी व बिरादरी के लोगो मतलब खतम। पहले एक त्यौहार का मतलब था कि पूरा शहर एक जगह इकट्ठा होता था और एक बड़ा उत्सव होता था। एक त्यौहार का सही में मतलब है कि हम सुबह में जल्दी उठे , नहाकर धोकर तैयार हो, कपडे पहने , खुशबु लगाये , अच्छे पकवान बनबाएं और फिर एकदूसरे के घर घुमने जाएँ ।

What is the Importance of Festivals in India

लोगों में इस संस्कृति को वापस लाने के लिए, कुछ महतवपूर्ण कदम उठाने की जरुरत है- पोंगल या मकर संक्रांति, महाशिवरात्रि, ईद , रमजान, लोहड़ी, दशहरा और दिवाली। अगर हम ऐसा कुछ नहीं मानते हैं, तो अगली पीढ़ी के आने तक उन्हें पता ही नहीं चलेगा कि त्यौहार क्या होता है। वे सिर्फ खाएंगे, सोएंगे और बड़े होंगे और किसी दूसरे इंसान की परवाह नहीं करेंगे। इन सभी पहलुओं को भारतीय संस्कृति में सिर्फ एक आदमी को इतने तरीकों से सक्रिय और उत्साही रखने के लिए लाया गया था। इसके पीछे विचार यह था कि हम अपने पूरे जीवन को एक उत्सव बना लें।

Importance of Festivals

अगर आप हर चीज को उत्सवी तरीके से लेते हैं, तो आप जीवन के प्रति गैर-गंभीर होना सीखते हैं, इस समय अधिकांश मनुष्यों के साथ समस्या यह है कि यदि वे सोचते हैं कि कुछ महत्वपूर्ण हो, तो वे इसके बारे में पूरी तरह गंभीर हो जाएंगे। अगर उन्हें लगता है कि यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है, तो वे इसके बारे में शिथिल हो जाएंगे – वे अपना आवश्यक सहयोग नहीं देते है। आप जानते हैं, भारत में जब कोई कहता है, “वह बहुत गंभीर स्थिति में है,” इसका मतलब है कि उसका अगला कदम आप जानते हैं कि कहां है।

विषय भारत के त्यौहार एवं भारतीय संस्कृति और उसका महत्व
भाषा हिंदी
उद्देश्य भारतीय लोगो में त्योहारों के प्रति उत्साह पैदा करना
किस धर्म के लोगो के लिए सभी धर्म के लोगो के लिए
केटेगरी फेस्टिवल
Importance of Festivals in India
Importance of Festivals in India

हिन्दू धार्मिक त्यौहार लिस्ट ( Hindu Festivals List )

इस धर्म में निम्नलिखित त्योहारों को मनाया जाता है-

मकर सक्रांति

मकर संक्रांति भारत में एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाया जाता है। संक्रांति का शाब्दिक अर्थ है “आंदोलन।” जीवन के रूप में हम जो कुछ भी पहचानते हैं वह गति है।

दीपावली

भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म में कार्तिक मास के दिन आने वाले अमावस्या का खास महत्व है। इस दिन दीपावली का पर्व ( त्यौहार ) मनाया जाता है। हिन्दुओ के साथ ही इस दिन का जैन, बौद्ध और सिख धर्म में भी खास महत्व है। वैसे खासकर इस दिन का यह महत्व है कि इस दिन भगवान श्रीराम अपने चौदह वर्ष के वनवास को पूरा करके, लंका पति रावन को पराजित करके अपने राज्य अयोध्या लौटे थे, उनके आने की ख़ुशी में अयोध्या वासियों ने ख़ुशी में दिया व चिराग जलाए थे।

दशहरा

दशहरा या विजयदशमी भगवान श्रीराम की जीत के रूप में मनाया जाता है। भारत के उत्तरी राज्यों में इस पावन त्यौहार को दशहरा तो वहीं पश्चिम बंगाल में इसे विजयदशमी कहा जाता है। हिंदू धर्म में दशहरा का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक में मनाया जाता है।

माना जाता है कि इस दिन भगवान श्रीराम ने लंका नरेश रावण का वध किया था। इसी कारणवश हर साल इस त्यौहार को मनाते हैं। दशहरा के समय भव्य रामलीला होने के साथ रावण के पुतले को दहन करने का भी विधान है। इस दिन देश भर में जगह-जगह पर रावण के पुतले जलाए जाएंगे।

नवरात्री

‘नवरात्र’ शब्द नौ अहोरात्रों (विशेष रातों) को परिभाषित करता है। इस समय शक्ति के नवरूपों की पूजा की जाती है। ‘रात्रि’ शब्द सिद्धि का प्रतीक है। भारत के प्राचीन ऋषि-मुनियों ने दिन की अपेक्षा रात्रि को अधिक महत्व दिया है, इसलिए दीपावली, होलिका, शिवरात्रि और नवरात्रि जैसे पर्वों को रात्रि में ही मनाने की परंपरा है। यदि रात्रि का कोई विशेष रहस्य न होता, तो ऐसे उत्सवों को ‘रात्रि’ नहीं ‘दिन’ कहा जाता, परन्तु नवरात्रि के दिनों को ‘नवदीन’ नहीं कहा जाता।

नागपंचमी

सावन महीने की शुक्ल पंचमी को “नागपंचमी” मनाई जाती है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है और इनका दूध से अभिषेक ( दूध चढ़ाना या दूध पिलाना ) किया जाता है। इस दिन शिवभक्त नागों की पूजा करते हैं दूध पिलाते है और आशीर्वाद लेते हैं। ऐसा लोग मानते है कि इस दिन जो व्यक्ति नाग देवता की पूजा कराने के साथ शिव की पूजा व रुद्राभिषेक करता है उसके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

महाशिवरात्रि

शिवपुराण के अनुसार भगवान सदाशिव सर्वप्रथम महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ था। उस दिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी। इस वजह से हर साल फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है।

मुस्लिम धार्मिक त्यौहार लिस्ट ( Muslim Festivals List )

इस धर्म में निम्नलिखित त्योहारों को मनाया जाता है-

कुंडे

भारत में मुसलमानों का त्यौहार बहुतसदी पहले से चली आ रहा है कि 22 रजब ( मुस्लिम महीने ) को हजरत इमाम जाफर सादिक रजियल्लाहु तआला अन्हो की फातिहा करते हैं, जिसे हम कुंडे का नियाज कहते हैं।

शब ए रात

शब-ए-बारात यह वह रात है जब खुदा की रहमत बरसती है। जो कोई भी इस रात में खुदा की इबादत करता है या अपने गुनाहों के लिए तौबा करता है, तो उसे अपने गुनाहों से माफ़ी मिलती है। शब-ए-बारात मुस्लिम समुदाय का प्रमुख त्योहार है।

रमजान

इस्लाम धर्म में शाबान महीने के बाद रमजान का मुबारक महीना आता है और सभी मुसलमान इस महीने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। क्योंकि मुसलमानों के लिए रमजान का महीना बेहद पाक माना जाता है। इसलिए मुसलमान रमजान के पूरे महीने रोजा रखते हैं, और रोज पांच वक़्त की नमाज पढ़ते हैं, फितरा, जकात अदा करते हैं और खूब अल्लाह की इबादत करते हैं।

ईद उल फ़ित्र

वो ईद, जिसे 30 रोजो के पूरा होने की खुशी में मनाया जाता है और जिसमें सेवइयां पकाई जाती हैं, शव्वाल का पहला दिन होता है, चूंकि मुसलमान इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को फितरा (दान) देते हैं, इसलिए इसे ईद कहा जाता है। -उल-फितर। फित्र को दान (भिक्षा) देने की ईद भी कहा जाता है।

ईद अल अजहा

ईद अल अजहा , मुसलमानों का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है। इसे आमतौर पर “बकरीद” के नाम से भी जाना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक बकरीद जुल-हज्जा के आखिरी महीने में मनाई जाती है। यह त्यौहार त्याग और बलिदान के रूप में मनाया जाता है। कुर्बानी के साथ जमात और नमाज अदा कर सलामती की दुआ मांगी जाती है।

मोहर्रम

मुहर्रम दुख और मातम का महीना है, जिसे इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग मनाते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम इस्लाम धर्म का पहला महीना है। यानी मुहर्रम इस्लाम के नए साल या हिजरी साल की शुरुआत है। और यह बकरीद के 20 दिन बाद मुहर्रम मनाया जाता है।

इस्लाम धर्म के लोगों के लिए यह महीना काफी अहम है, क्योंकि इसी महीने में हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। हजरत इमाम हुसैन इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद के छोटे नवासे है। उनकी शहादत की याद में मुहर्रम महीने के दसवें दिन लोग मातम मनाते हैं, जिसे आशुरा भी कहा जाता है।

12 रबी उल अब्बल

12 रबीउल अव्वल ( 12 Rabi Ul Abbal ) एक इस्लामी त्यौहार है जो भारत सहित पूरी दुनिया के उन सभी देशों में मनाया जाता है जहां मुस्लिम धर्म के मानने वाले लोग रहते हैं, यह खुशी का दिन साल में एक बार आता है।

इस दिन हुजूर मोहम्मद सल्लहिवसलम ( Prophet Mohammad S.W. ) ने तशरीफ को दुनिया के सामने लाया। 12 रबीउल अवल को ईद मिलादुन नबी के नाम से भी जाना जाता है। हुज़ूर 570 ई. में मक्का की ज़मीन पर तशरीफ़ लाए ( पैदा हुए ) थे।

सिख धार्मिक त्यौहार लिस्ट ( Sikh Festivals List )

इस धर्म में निम्नलिखित त्योहारों को मनाया जाता है-

लोहड़ी

लोहड़ी, जो मकर संक्रांति से एक रात पहले सूर्यास्त के बाद मनाई जाती है, पंजाब प्रांत का त्योहार है, जिसका अर्थ है- ल (लकड़ी) + ओह (गोहा यानी सूखे उपले) + दी (रेवड़ी)। इस पर्व के 20-25 दिन पूर्व बच्चे लोहड़ी के लोकगीत गाकर लकड़ी और गोबर के उपले एकत्रित करते हैं। फिर एकत्रित सामग्री को चौराहे/मोहल्ले में खुले स्थान पर आग लगा दी जाती है। पंजाबी समाज इस त्योहार को बहुत ही धूमधाम से मनाता है। मन्नत पूरी होने की खुशी में लोहड़ी के समय गोबर के उपलों की माला बनाकर उन्हें जलती हुई आग में भेंट की जाती है। इसे ‘चरखा’ कहते हैं।

ईसाई धार्मिक त्योंहार लिस्ट ( Christian Festivals List )

इस धर्म में निम्नलिखित त्योहारों को मनाया जाता है-

क्रिसमस डे

ईसाई धर्म के लोगों के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक क्रिसमस है, जो हर साल 25 दिसंबर को ईसा मसीह के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है, इसके अलावा क्रिसमस से 1 दिन पहले यानी 24 दिसंबर की शाम को क्रिसमस की पूर्व संध्या से ही इस त्यौहार की शुरूआत हो जाती है। ईसाई धर्म के लोग इस दिन को एक दूसरे के साथ मिलकर ईसा मसीह के जन्म दिन का जश्न मनाते हैं। भारत में भी ईसाई धर्म के साथ-साथ अन्य सभी धर्मों के लोग क्रिसमस के त्योहार को बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं।

राष्ट्रीय पर्व ( त्यौहार ) लिस्ट ( Indian Festivals List )

इस धर्म में निम्नलिखित त्योहारों को मनाया जाता है-

15 अगस्त

15 अगस्त 1947 को हमें 200 साल के ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। यह दिन हमें हमारे अपने स्वतंत्रता नायकों के त्याग, तपस्या और बलिदान की याद दिलाता है। इस दिन को पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

26 जनवरी

26 जनवरी 1950 को आज ही के दिन संविधान लागू हुआ था जिसके कई कारण थे। देश के स्वतंत्र होने के बाद संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाया। वहीं, 26 जनवरी 1950 को संविधान को लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के साथ लागू किया गया। इस दिन भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया था। 26 जनवरी को संविधान लागू करने का एक मुख्य कारण यह भी है कि इसी दिन 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत की पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा की थी।

Conclusion

फ्रेंड्स, उम्मीद है कि Importance of Festivals in India आर्टिकल आपको खासा पसंद आया होगा क्योंकि इसमें त्योहारों के माध्यम से भारत जोड़ने की बात की गयी है। क्या त्यौहार ना मानाने से भारत टूट रहा है कृपया कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बताए और इस आर्टिकल को ज्यादा से शेयर करे, जिससे इसके भाव से सभी लोग प्रभित हो सकें.

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